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Posts published by “मेरीकलम डेस्क”

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किसान और उसका बैल / मेरी कलम

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर-ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा…

हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ / कविता

हवा हूँ, हवा मैंबसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी –अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँबड़ी मस्तमौला।नहीं कुछ फ़िकर हैबड़ी ही निडर हूँजिधर चाहती हूँउधर घूमती…

नर हो, न निराश करो मन को / मैथिलीशरण गुप्त

नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें…