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Posts published in “बाल-साहित्य”

ए मातृभूमि! by रामप्रसाद बिस्मिल

ए मातृभूमि ! तेरी जय हो, सदा विजय हो ।प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शान्ति-कान्तिमय हो ।। अज्ञान की निशा में, दुःख से भरी दिशा में,संसार के…

स्वदेशी कथन by रामप्रसाद बिस्मिल

जिएँ तो बदन पर स्वदेशी वसन हो ।मरें भी अगर तो स्वदेशी कफ़न हो ।। पराया सहारा है अपमान होना, जरुरी है निज शान का…

अकबर बीरबल के किस्से : बादशाह का सपना

एक दिन बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था। बैठे-बैठे बादशाह ने बीरबल से चुटकी लेने का मन बनाया। बादशाह अकबर ने कहा कि आज…