Press "Enter" to skip to content

Posts published in “फीचर्ड”

किसान और उसका बैल / मेरी कलम

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर-ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा…

नर हो, न निराश करो मन को / मैथिलीशरण गुप्त

नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें…

उठो लाल अब आँखें खोलो / सोहनलाल द्विवेदी

उठो लाल अब आँखें खोलो,पानी लायी हूँ मुंह धो लो। बीती रात कमल दल फूले,उसके ऊपर भँवरे झूले। चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,बहने लगी हवा…

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी / झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को…