भारत की धरती, दुख सब हरती,हर्षित करती, प्यारी है।ये सब की थाती, हमें सुहाती,हृदय लुभाती, न्यारी है।।ऊँचा रख कर सर, हृदय न डर धर,बसा सुखी…
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रख नापाक इरादे उसने, सरहद करदी मधुशाला।रोज करे वह टुच्ची हरकत, नफरत की पी कर हाला।उठो देश के मतवालों तुम, काली बन खप्पर लेके।भर भर…
गाँवों में हैं प्राण हमारे, दें इनको सम्मान।भारत की पहचान सदा से, खेत और खलिहान।। गाँवों की जीवन-शैली के, खेत रहे सोपान।अर्थ व्यवस्था के पोषक…
आजकल उनसे मुलाकातें कहानी हो गईं,शोखियाँ उनकी अदाएँ अब पुरानी हो गईं। हम नहीं उनको मना पाये गए जब रूठ वों,ज़िंदगी में गलतियाँ कुछ ना-गहानी…
न पैमाना वो जो फिर से भरा होने से पहले था,नशा भी वो न जो वापस चढ़ा होने से पहले था। बड़ा ही ख़ुशफ़हम शादीशुदा…