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Posts published in “कविता”

भारत की धरती… / बासुदेव अग्रवाल

भारत की धरती, दुख सब हरती,हर्षित करती, प्यारी है।ये सब की थाती, हमें सुहाती,हृदय लुभाती, न्यारी है।।ऊँचा रख कर सर, हृदय न डर धर,बसा सुखी…

सरहदी मधुशाला… / बासुदेव अग्रवाल

रख नापाक इरादे उसने, सरहद करदी मधुशाला।रोज करे वह टुच्ची हरकत, नफरत की पी कर हाला।उठो देश के मतवालों तुम, काली बन खप्पर लेके।भर भर…

खेत और खलिहान… / बासुदेव अग्रवाल

गाँवों में हैं प्राण हमारे, दें इनको सम्मान।भारत की पहचान सदा से, खेत और खलिहान।। गाँवों की जीवन-शैली के, खेत रहे सोपान।अर्थ व्यवस्था के पोषक…

आजकल उनसे मुलाकातें कहानी हो गईं… / बासुदेव अग्रवाल

आजकल उनसे मुलाकातें कहानी हो गईं,शोखियाँ उनकी अदाएँ अब पुरानी हो गईं। हम नहीं उनको मना पाये गए जब रूठ वों,ज़िंदगी में गलतियाँ कुछ ना-गहानी…

न पैमाना वो जो फिर से भरा होने से पहले था… / बासुदेव अग्रवाल

न पैमाना वो जो फिर से भरा होने से पहले था,नशा भी वो न जो वापस चढ़ा होने से पहले था। बड़ा ही ख़ुशफ़हम शादीशुदा…