सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को…
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ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं / राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर
By मेरीकलम डेस्क on दिसम्बर 30, 2020
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहींहै अपना ये त्यौहार नहींहै अपनी ये तो रीत नहींहै अपना ये व्यवहार नहींधरा ठिठुरती है सर्दी सेआकाश में कोहरा…
न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
By मेरीकलम डेस्क on दिसम्बर 25, 2020
कर्तव्य के पुनीत पथ को,हमने स्वेद से सींचा है।कभी-कभी अपने अश्रु और,प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।। किंतु,अपनी ध्येय-यात्रा में,हम कभी रुके नहीं हैं।किसी चुनौती…
ए मातृभूमि! by रामप्रसाद बिस्मिल
By मेरीकलम डेस्क : द्वितीय on दिसम्बर 20, 2020
ए मातृभूमि ! तेरी जय हो, सदा विजय हो ।प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शान्ति-कान्तिमय हो ।। अज्ञान की निशा में, दुःख से भरी दिशा में,संसार के…
स्वदेशी कथन by रामप्रसाद बिस्मिल
By मेरीकलम डेस्क : द्वितीय on दिसम्बर 20, 2020
जिएँ तो बदन पर स्वदेशी वसन हो ।मरें भी अगर तो स्वदेशी कफ़न हो ।। पराया सहारा है अपमान होना, जरुरी है निज शान का…