कर्तव्य के पुनीत पथ को,हमने स्वेद से सींचा है।कभी-कभी अपने अश्रु और,प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।। किंतु,अपनी ध्येय-यात्रा में,हम कभी रुके नहीं हैं।किसी चुनौती…
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जो कह दिया वह शब्द थे ,जो नहीं कह सके ,वो अनुभूति थी ।।और ,जो कहना है मगर ,कह नहीं सकते ,वो मर्यादा है ।।…