एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था, जिसका नाम था रघु। रघु मेहनती और नेकदिल था, लेकिन उसका खेत बंजर था, और गाँव वाले उसका मज़ाक उड़ाते थे। एक दिन, रघु ने अपने खेत के बीचों-बीच एक आम का पौधा लगाया। उसने मन में ठान लिया कि वह इस पौधे को एक विशाल वृक्ष बनाएगा, जो पूरे गाँव को छाया और फल देगा।
रघु हर सुबह पौधे को पानी देता, खाद डालता, और उसकी देखभाल करता। लेकिन गर्मियों में पानी सूख गया, और सर्दियों में ठंडी हवाएँ पौधे को झुलसाने लगीं। गाँव वालों ने हँसते हुए कहा, “रघु, यह पौधा तो मर जाएगा। तू अपना समय बर्बाद कर रहा है।” रघु चुपचाप मुस्कुराता और अपने काम में जुट जाता।
एक साल बीता, और पौधा अब भी छोटा ही था। एक रात, भयंकर तूफान आया। हवाएँ इतनी तेज़ थीं कि पौधे की टहनियाँ टूटने लगीं। गाँव वालों ने कहा, “देखा, रघु, तेरा पौधा अब नहीं बचेगा।” लेकिन रघु ने हार नहीं मानी। उसने रातभर जागकर पौधे को बाँस के सहारे बाँधा और उसे मिट्टी से ढक दिया। सुबह, जब तूफान थमा, तो पौधा अभी भी खड़ा था, भले ही उसकी कुछ पत्तियाँ झड़ गई थीं।
समय बीतता गया। रघु की मेहनत और धैर्य रंग लाई। पौधा धीरे-धीरे एक मजबूत पेड़ बन गया। उसकी शाखाएँ फैलने लगीं, और उस पर मीठे आम लगने लगे। गाँव वाले, जो कभी रघु का मज़ाक उड़ाते थे, अब उसके पेड़ की छाया में बैठकर सुस्ताने लगे। बच्चे उसके फल खाकर खुश होते, और रघु का खेत अब गाँव का गौरव बन गया।
एक दिन, गाँव के मुखिया ने रघु से पूछा, “तूने इतनी मुश्किलों के बाद भी हार क्यों नहीं मानी?” रघु ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी मेहनत और विश्वास मेरी असली संपत्ति थे। जब मैंने पौधा लगाया, तो मैंने उसका भविष्य देखा, न कि उसकी मौजूदा हालत। जीवन में कठिनाइयाँ आएँगी, लेकिन अगर तुम मेहनत और विश्वास के साथ डटे रहो, तो हर बंजर खेत में फल देने वाला पेड़ उग सकता है।”
सीख:
जीवन में कठिनाइयाँ और आलोचनाएँ हर कदम पर मिलेंगी। लोग तुम्हें हतोत्साहित करेंगे, और परिस्थितियाँ तुम्हें तोड़ने की कोशिश करेंगी। लेकिन अगर तुम मेहनत, धैर्य, और विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहो, तो तुम अपने सपनों को सच कर सकते हो।
सबसे बड़ी संपत्ति: मेहनत और विश्वास
सबसे अच्छा साथी: धैर्य
सबसे बड़ी ताकत: आत्मविश्वास
सबसे अच्छा इनाम: सफलता











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