Last updated on जनवरी 22, 2021
एक दिन बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था।
बैठे-बैठे बादशाह ने बीरबल से चुटकी लेने का मन बनाया।
बादशाह अकबर ने कहा कि आज रात मैंने एक सपना देखा जिसका मैं इस दरबार में वर्णन करना चाहता हूँ। अब दरबार में उपस्थित सभी दरबारी और मंत्रीगण उत्सुकता से देखने लगे और महाराज से स्वप्न जानने की इच्छा व्यक्त करने लगे।
फिर बादशाह ने बताया कि मेरे सपने में मैंने देखा कि – मैं और बीरबल साथ में कहीं जा रहे थे अचानक मैं एक बड़े कुंड में गिर गया जो शहद से लबालब भरा हुआ था। और बीरबल एक दूसरे बड़े कुंड में गिर गया जो कीचड़ से लबालब भरा हुआ था।
इतना सुनकर दरबार में उपस्थित सभी मंत्रीगण और दरबारी ठहाके मार कर हंसने लगे।
बादशाह को लगा कि आज मैं विजयी हो गया और सभी बीरबल के शांत चहरे को निहारने लगे। अभी कुछ दरबारी ठहाके लगा ही रहे थे कि अचानक बीरबल बोल उठे। अब सबकी निगाहें जहाँपनाह से हटकर बीरबल पर टिक गयीं।
अब बीरबल ने बोला कि – दरबार में उपस्थित सज्जनों, जहाँपनाह ने आगे का सपना बताया ही नहीं, आगे का सपना मैं आपको बताता हूँ।
अब सभी लोगों ने आगे का सपना जानने की इच्छा जाहिर की।
अब बीरबल ने बताया कि, सपने में कुंड से निकलने के बाद मैं महाराज को चाट रहा था और महाराज मुझे चाट रहे थे।
अब पूरे दरबार में सन्नाटा छा गया। बादशाह का मुंह देखने लायक था। सभी दरबारी बिलकुल चुप थे। और बादशाह ने मन ही मन अपनी हार मान ली और साथ में बीरबल की बुद्धिमानी और बुद्धिमत्ता का भी लोहा मान लिया।
-समाप्त-