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न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी

Last updated on दिसम्बर 28, 2020

कर्तव्य के पुनीत पथ को,
हमने स्वेद से सींचा है।
कभी-कभी अपने अश्रु और,
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।।

किंतु,
अपनी ध्येय-यात्रा में,
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।।

आज,
जब कि राष्ट्र-जीवन की,
समस्त निधियाँ,
दाँव पर लगी हैं।
और,
एक घनीभूत अंधेरा,
हमारे जीवन के,
सारे आलोक को,
निगल लेना चाहता है।।

हमें ध्येय के लिए,
जीने, जूझने और
आवश्यकता पड़ने पर
मरने के संकल्प को दोहराना है।।

आग्नेय परीक्षा की,
इस घड़ी में,
आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
न दैन्यं न पलायनम्

श्रद्धेय अटल जी को नमन।