Last updated on अक्टूबर 3, 2020
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है,
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा,
अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं,
फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं,
गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
अभी मैं कैसे कहूं “शबीना” वफा निभायेंगे वो हमेशा,
कि मेरे दिल के जमीं पे उनकी अभी हुकूमत नई नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।
~शबीना अदीब
Superb!!!