Last updated on अक्टूबर 2, 2020
जो कह दिया वह शब्द थे ,
जो नहीं कह सके ,
वो अनुभूति थी ।।
और ,
जो कहना है मगर ,
कह नहीं सकते ,
वो मर्यादा है ।।
जिंदगी का क्या है ?
आ कर नहाया ,
और ,
नहाकर चल दिए ।।
पत्तों सी होती है ,
कई रिश्तों की उम्र ,
आज हरे !
कल सूखे !
क्यों न हम ,
जड़ों से ,
रिश्ते निभाना सीखें ।।
रिश्तों को निभाने के लिए ,
कभी अंधा ,
कभी गूँगा ,
और कभी बहरा ,
होना ही पड़ता है ।।
बरसात गिरी ,
और कानों में इतना कह गई कि ,
गर्मी हमेशा ,
किसी की भी नहीं रहती ।।
नसीहत ,
नर्म लहजे में ही ,
अच्छी लगती है ।
क्योंकि ,
दस्तक का मकसद ,
दरवाजा खुलवाना होता है ,
तोड़ना नहीं ।।
घमंड !
किसी का भी नहीं रहा ,
टूटने से पहले ,
गुल्लक को भी लगता है कि ,
सारे पैसे उसी के हैं ।
जिस बात पर ,
कोई मुस्कुरा दे ,
बात !
बस वही खूबसूरत है ।।
थमती नहीं ,
जिंदगी कभी ,
किसी के बिना ।
मगर ,
यह गुजरती भी नहीं ,
अपनों के बिना ।।
साभार: सोशल मीडिया