Last updated on जनवरी 25, 2021
एक बार की बात है, एक छोटा लड़का जिसका नाम भोला था। भोला अपने घर से कुछ दूर पहाड़ी पर अपनी गायें चराने के लिए ले जाया करता था। दिन भर गायें चराने की बाद शाम को गायों के साथ अपने घर वापस आ जाता था। जाते समय साथ में उसकी माँ उसे रोटियां देती थी ताकि उसका बेटा जब भी भूख लगे तो खा सके। उसकी हर दिन की लगभग यही दिनचर्या होती थी।
एक दिन भोला अपनी गायें चरा रहा था कि अचानक एक आदमी आया और बोला कि मुझे बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को मिल जाता तो अच्छा होता। भोला ने अपनी रोटी निकाली जो माँ ने उसे दी थी और बोला कि, लो मेरे पास एक रोटी है आधी तुम खा लो और आधी मैं खा लेता हूँ। ऐसा ही हुआ दोनों ने आधी-आधी रोटी खाई।
दूसरे दिन दो आदमी आये और बोले कि हमें बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ खाने को मिल जाए तो बहुत अच्छा होगा। फिर भोला ने माँ की दी हुई रोटी निकाली और बोला कि इस रोटी का तीन टुकड़े कर लेते हैं एक-एक टुकड़े तुम लोग खा लो बाकी एक टुकड़ा मैं खा लेता हूँ।
तीसरे दिन तीन आदमी आये और बोले कि हमें बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ खाने को मिल जाए। आज फिर भोला ने रोटी निकाल कर रख दी और बोला कि आज रोटी की चार टुकड़े कर देता हूँ एक-एक टुकड़े तुम लोग खा लो बाकि बचा हुआ एक टुकड़ा मैं खा लूँगा।
अब फिर अगले दिन चार आदमी आ गए और बोलने लगे कि हम लोग बहुत भूखें हैं, भूख की पीड़ा सहन करना अब हमारे बस की बात नहीं , कुछ खाने को मिल जाए तो कितना अच्छा होगा। आज भोला ने माँ की दी हुई रोटी निकली और बोला कि इस रोटी का चार टुकड़े कर लो और तुम चारों खा लो। मुझे मेरी माँ घर पर दूसरी रोटी देगी तो मैं खा लूँगा।
उन चारों ने ऐसा ही किया और मिलकर रोटी खुद खा लिया।
अब चारों आदमी यह जानने के इच्छुक थे, कि आखिर ये लड़का कौन है। पूछने पर भोला ने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बताया। भोला ने फिर उनके बारे में पूछा कि भैया आप लोग कौन हैं ?
भोला के बहुत पूछने पर उन्होंने बताया कि हम लोग यमदूत हैं, धरती पर किसी के प्राण लेने आये थे और हमें भूख लग गयी थी और आप ने हमें रोटी खिलाया। आपका बहुत एहसान रहेगा हम पर।
भोला ने उनसे पूछा कि तो फिर आप बताइये कि मेरी मृत्यु कब होगी ?
यमदूतों ने कहा कि हम ये आपको नहीं बता सकते। पर भोला की बहुत कहने पर उन्होंने भोला को बताया कि उसकी मृत्यु उसकी शादी की बाद सुहागरात से बस कुछ ही क्षण पहले साँप काटने की वजह से से होगी।
काफी दिन बीत गए।
भोला की शादी तय हुई, और शादी बहुत ही धूम-धाम से संपन्न हुई। अगले दिन भोला की सुहागरात का मुहूर्त था।
सुहागरात को जाते हुए भोला ने देखा कि कमरे की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर एक साँप अपना फ़न फैलाये बैठा हुआ था और साँप की आंखों में आसूँ थे। भोला के पूछने पर साँप ने बताया कि मैं वही दूत हूँ जिसको तुमने भूख में रोटी खिलाया था। लेकिन आज मुझे भेजा गया है, तुम्हे काटने के लिए, मुझे बहुत दुःख है, लेकिन ये मेरी ड्यूटी है मैं तुम्हे छोड़ नहीं सकता अतः मुझे इस बात के अत्यंत पीड़ा है।
भोला ने आग्रह किया कि, मित्र मैं समझ सकता हूँ, परन्तु आप मुझे अपनी प्रियतमा से एक बार मिलकर आ जाने दो ताकि मैं उसे सब कुछ बता सकूँ अन्यथा वो मेरा पूरी रात इंतज़ार करती रहेगी और मैं कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा।
इस सहमति से समय लेकर भोला कमरे में जाते ही अपनी नयी नवेली सुहागन को सब कुछ बता दिया और बोला कि सीढ़ियों पे साँप मेरा इंतज़ार कर रहा है मुझे जाना होगा और कमरे से बाहर कि तरफ चल दिया।
अब इधर भोला की पत्नी ने ये सोचते हुए कि अब तो मेरे पति नहीं रहेंगे और अपने पास रखी मिठाइयां और छप्पनभोग पीछे की खिड़की से नीचे फ़ेंक दिए।
ठीक उसी समय खिड़की की पीछे बने रास्ते से एक औरत जा रही थी, जिसके पेट में बच्चा था और वो कई दोनों से भूखी थी। उसने मिठाई और छप्पनभोग छक कर खाये जिससे उसका पेट भरा और साथ में उसके पेट में पल रहे बच्चे का भी मन तृप्त हुआ।
खाने के बाद उस औरत ने बहुत ढेर सारी दुआएँ दी और बोली –
“तुम जो भी हो बहन तुम्हारा सुहाग हमेशा सलामत रहे”, “तुम्हारा सिन्दूर सलामत रहे”, “तुम्हारे सुहाग के उम्र लम्बी हो”। इस तरह से उसने दिल से दुआएं दी।
उसकी दुआओं का इतना असर हुआ कि यमदूत के पास अपने मालिक का सन्देश आया कि अब उस भोला को नहीं डँसना है वापस आ जाओ। फिर साँप के रूप में यमदूत खुशी से झूमते हुए वापस चला गया। भोला के भी जिंदगी बच गयी। भोला की पत्नी का सुहाग भी बच गया। अब दोनों सुखी और आनंदमय जीवन व्यतीत करने लगे।
इस कथा में सम्पादक ने दर्शाया है कि दिल के गहराइयों से निकली दुआओं में कितना असर होता है, कितनी ताक़त होती है।
–समाप्त–
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