Last updated on जुलाई 18, 2020
एक राजा था. काफी बूढा हो चूका था. एल दिन उसने अपने मंत्री को बुलाया और कहा – “देखो, राजकुमार अभी छोटे हैं . जिद्दी भी हैं . मेरी जिन्दगी का कोई भरोसा नही है. ये रहीं उन चौदह कोठरियों की चाबियाँ. ये अपने पास रखो. जब राजकुमार बड़ा हो जाए तो उसको एक-एक करके सभी कोठरियां दिखाना, लेकिन आखिरी कोठारी मत खोलना. यह ध्यान रखना”.
कुछ दिनों बाद राजा मर गया. जब राजकुमार कुछ और समझदार हुआ , तो वह राजकाज देखने लगा. एक दिन उसने उन कोठरियों को देखने की इच्छा जाहिर की. मंत्री ने एक-एक करके साड़ी कोठरियां दिखा दीं. जब आखिरी कोठारी का नंबर आया तो मंत्री ने कहा – “महाराज, इसे न देखें”.
राजकुमार ने कहा, “जब सारी कोठरियां देख लीं, तो इसे भी देखने में क्या हर्ज है ? यह भी दिखाओ .”
मंत्री ने बहुत मन किया, परन्तु अंत में उसे वह कोठारी खोलनी पडी . उसमे अनेक राजा, राजकुमार और राजकुमारियों के चित्र टंगे थे . मंत्री ने उन सबका परिचय दिया. एक चित्र को बीच में वह छोड़ गया. राजकुमार की नजर उस पर थी. मंत्री को चुप देखकर राजकुमार ने पूछा- “आपने इस चित्र के बारे में कुछ नहीं बताया ?”.
महाराज की आगया थी. अब वह राजकुमार तो रह नहीं गया था . राजा था. फिर भी मंत्री उसे टालना छह रहा था. उसे अपने पूर्व महाराज की बात याद थी . अब वह क्या करे ? राजाज्ञा को कैसे ताले ? जब उसने देखा क़ि राजकुमार मानने वाले नहीं हैं तो वह बोला-“महाराज, यह राजकुमारी पद्मिनी है.”
उसी दिन से राजकुमार की रातों की नींद उड़ गयी और दिन का चैन समाप्त हो गया . वह दिन-रात राजकुमारी पद्मिनी के बारे में सोचता रहता. मंत्री का पुत्र राजकुमार का मित्र था. दोनों साथ-साथ पले और पढ़े थे . आपस में दोनों में बहुत प्यार था . उसने मंत्री के लड़के से सलाह-मशविरा किया. एक दिन दोनों राजकुमारी पद्मिनी की तलाश में निकल पड़े . एक जहाज में बहुत सारे सुन्दर जेवर और धन भर कर वे राजकुमारी के देश को चल दिए.
सात समुन्दर पार राजकुमारी का देश था . कई महीनों की यात्रा करके वे वहां पहुँच गए . अब समस्या थी क़ि महल में कैसे घुसा जाए ? किसी प्रकार पहरेदार को धन का लोभ देकर, यह कहकर अन्दर गए क़ि हम दूर देश के व्यापारी हैं. राकुमारी को गहने दिखाने हैं .
वे राजकुमारी के सामने ले जाये गये . उन्होंने गहने दिखाए. राजकुमारी को वे बहुत पसंद आये. मंत्री का लड़का बोला-“राजकुमारी जी , हमारे पास इससे भी खूबसूरत गहने हैं जो हमारे जहाज पर हैं . यहाँ बोझ के कारण नहीं ला पाए. यदि आपको देखने हों तो आप हमारे साथ चलिए.”
राजकुमारी इसके लिए तैयार हो गयी. उसने अपनी एक नौकरानी को अपने साथ लिया और उन दोनों के साथ चल दी. जहाज पर पहुंचकर राजकुमार राजकुमारी को अन्दर ले गया और मत्री का लड़का बाहर ही रह गया. काफी देर तक राजकुमारी गहने देखती रही . उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा. जब गहने देख चुकी तो उसे ध्यान आया क़ि उसे तो कई घंटे हो गये. वह चलने को तैयार हो गयी. जैसे ही वह बाहर आयी , उसने देखा क़ि वह तो समुद्र के बीच में है. चारों ओर जल ही जल था . उसे बड़ा क्रोध आया. हुआ यह क़ि जहाज पर आते समय मंत्री का लड़का बाहर ही रह गया थे, जैसे ही राजकुमारी अन्दर गयी , मंत्री के लड़के ने जहाज का लंगर उठा दिया. जहाज चल पड़ा था.
मंत्री का लड़का राजकुमारी के सामने आया और बोला – “राजकुमारी जी , अपराध क्षमा करें. हम लोग व्यापारी नहीं हैं . ये राजकुमार हैं और मैं इनके मंत्री का पुत्र . राजकुमार ने एक दिन आपना चित्र देखा था. तभी से वह आपको पाने के लिए पागल से हो गये थे . इसीलिये हमें यह सब नाटक करना पड़ा .”
राजकुमार भी काफी सुन्दर था . इसी कारण राजकुमारी ने सोचा-“चलो , जी हुआ अच्छा ही हुआ.” वह निश्चिन्त होकर जहाज के अन्दर चली गयी.
रात हो गयी थी . सब लोग सो गये थे . केवल मंत्री का पुत्र जहाज के बाहर ही बैठा था. तभी वहां दो पक्षी आकर बैठ गये. वे दोनों आपस में बातें करने लगे. एल बोला-“इस जहाज में यात्रा कर रहे राजकुमार पर बड़ी विपत्तियाँ आने वाली हैं .” यह सुनकर मंत्री का लड़का सतर्क हो गया. पक्षी फिर बोला -“जैसे ही यह राजकुमार अपने देश की धरती पर उतरेगा, तो उस समय यह प्यास के मारे व्याकुल होगा. एक औरत मट्ठा लेकत आ रही होगी . राजकुमार उसे जैसे ही पीएगा तो फ़ौरन मर जाएगा.”
दूसरा पक्षी बोला, “इसका कोई उपाय है ?”
“है “, पहला पक्षी बोला, “यदि कोई वह मटकी फोड़ दे और मट्ठा न पीने दे, तो राजकुमार बच सकता है . और भी सुनो , वहां राजकुमार को एक सजा हुआ घोडा लेने आएगा . राजकुमार उस पर जैसे ही बैठेगा क़ि वह मर जाएगा. यदि कोई उस घोड़े की गर्दन तलवार से काट देगा , तो राजकुमार की मृत्यु टल सकती है . इसी तरह जब वह विवाह-मंडप के लिए बनाए गए दरवाजे के नीचे से निकलेगा तो द्वार गिर जाएगा और राजकुमार उसके नीचे दब कर मर जाएगा. यदि इससे भी बच गया, तो विवाह के बाद जैसे ही राजकुमार अपना जूता पहनेगा, तो बाएं जूते में बैठा नाग उसको डंस लेगा. पहले दिन ही राजकुमार के शयनकक्ष में रात को एक नाग आएगा और वह राजकुमारी के मुह पर काट लेगा. अगर कोई मुंह से राजकुमारी के मुहं का जहर चूस लेगा तो राजकुमारी बच सकती है.
“लेकिन ध्यान रहे . अगर कोई सुन रहा हो, तो यह बात किसी से न कहे . नहीं तो वह पत्थर का हो जाएगा .”
“फिर क्या होगा ? ” दूसरे ने पूछा .
“यदि राजकुमार अपनी पहली संतान का खून उस पत्थर पर छिड़क दे , तो वह फिर से जीवित हो उठेगा .”
दिन निकलते ही पक्षी तो उड़ गए . मंत्री का लड़का सो गया .
एक दिन वह आ गया , जब राजकुमार अपने देश की धरती पर उतरा . उसका गला प्यास के मारे चटखने लगा . तभी सामने से एक औरत सर पर मट्ठे की मटकी लिए दिखायी दी . राजकुमार ने उसे खरीदकर जैसे ही मटकी से मुंह लगाया कि मंत्री के लड़के ने धक्का दिया . मटकी हाथ से छूटकर फूट गयी . राजकुमार को बहुत गुस्सा आया . पर चुप रहा .
तभी खबर मिलने पर लोग राजकुमार की अगवानी के लिए सजा-सजाया सुन्दर घोडा लेकर आये थे . राजकुमार जैसे ही उसपर बैठने को तैयार हुआ, मंत्री के लड़के ने अपनी तलवार से घोड़े कीगार्दन काट दी . घोडा गिर गया. राजकुमार ने गुस्से से उसकी ओर देखा. मंत्री के लड़के ने अपनी नजरें झुका लीं . राजकुमार फिर चुप हो गया .
वह दिन भी आ गया जब राजकुमार और राजकुमारी का विवाह होने वाला था . अब मंत्री का लड़का राजकुमार की आंखों में खटकने लगा था. लेकिन बचपन का साथी था. इसलिए राजकुमार चुप था . नया द्वार बनाया गया था मंडप के लिए. राजकुमार का घोडा जैसे ही द्वार के पास पहुंचा, मंत्री का लड़का बोला -“तारीफ तो तब है राजकुमार, जब तुम्हारा घोडा द्वार को ऊपर से लाँघ कर जाए .”
राजकुमार को बात लग गयी. उसने घोडा को पीछे मोड़ा और दूर से दौड़ाकर द्वार को ऊपर से लाँघ गया . जैसे ही घोडा द्वार के ऊपर से गुजरा, द्वर फ़ौरन ढह गया. खैर, यह देखकर राजकुमार भी चकित था कि अगर मैं द्वार के नीचे से जाता तो मर ही जाता .
विवाह शांतिपूर्ण संपन्न हुआ . राजकुमार जैसे ही चलने को हुआ, मंत्री के लड़के ने फ़ौरन तलवार निकाल ली. राजकुमार उसको तलवार निकलते देख घबरा गया. उसने सोचा – ‘ कहीं यह मेरे ऊपर ही तो वार नहीं कर रहा ? इसकी नियत तो नहीं बदल रही ? ‘ तभी मंत्री के लड़के ने राजकुमार के बाएं जूते पर भरपूर तलवार का वाक् कर दिया. उसमें छिपा काला नाग तीन टुकड़े होकर निकल पड़ा. राजकुमार यह देखकर हैरान रह गया.
राजकुमार ने उसकी पीठ ठोंकी . मन से उसका संशय दूर हो गया.
पहले दिन ही राजकुमार अपने शयनकक्ष में सोने चले गए. उनकी सेज फूलों से सजाई गयी थी. मंत्री का पुत्र अपने मित्र की पत्नी की जान बचाने की फिक्र में था . वह पहले से ही शयनकक्ष में छिप गया. राजकुमार और राजकुमारी एक ही पलंग पर सो रहे थे. आधी रात के बाद बहुत ही भयंकर नाग लहराता हुआ आया. मंत्री का पुत्र जब तक अपनी तलवार संभालता, नाग ने राजकुमारी के मुंह पर फेन मार दिया. जब तक राजकुमारी चीखे, उससे पहले ही मंत्री के लड़के ने राजकुमारी के मुंह पर मुंह रखकर जहर चूसना शुरू कर दिया. राजकुमार की भी इस बीच आँख खुल गयी. उसने यह दृश्य देखा, तो मंत्री के पुत्र को धक्का देकर नीचे गिरा दिया. राजकुमार ने क्रोध में तलवार निकालकर मारना चाहा, फिर जाने क्या सोच कर रुक गया.
भरे दरबार में राजकुमार ने बंदी बने मंत्री के पुत्र को बुलवाया और पूछा – “क्यों न तुम्हें इन सब हरकतों के लिए फांसी पर लटका दिया जाय ? तुमने ये हरकतें क्यों की ?”
तब मंत्री के लड़के ने कहा, “मैं बता तो सब दूं, लेकिन तुम्हें अपने मित्र से हाथ धोना पड़ेगा .”
जब राजकुमार न माना तो उसने कहा – “महाराज, मैंने जहाज पर दो पक्षियों की बातें सूनी थीं कि यदि राजकुमार सजे हुए घोड़े पर बैठेगा तो मर जाएगा . इसीलिये मैंने आपके घोड़े पर बैठने से पहले ही घोड़े की गर्दन काट दी थी. ” यह कहते ही मंत्री पुत्र के घुटने तक पैर पत्थर के हो गए – “यही कारण था कि मैंने उस मट्ठे की मटकी भी धक्का देकर गिरा दी थी. ” मंत्री का लड़का फिर बोला- “महाराज, विवाह के मंडप का द्वार भी अआपके ऊपर ही गिरने वाला था, इसी कारण मैंने आपको उकसाया था कि देखें, आपका घोडा लांघ सकता है या नहीं .”
इसी बीच उसका कमर तक का हिस्सा पत्थर का हो गया. वह फिर बोला- “महाराज, अगर मैं आपका जूता तलवार से न काटता, तो वह नाग आपको डंस लेता और आपकी तत्काल मृत्यु हो जाती. ” अब तक वह गर्दन तक पत्थर हो गया.
“महाराज !” वह फिर बोला – “मैं अब पूरा पत्थर का हो जाऊँगा. इससे पहले मैं आपको बता दूं कि उस रात भी मुझे मालूम था कि एक नाग राजकुमारी को डंसेगा. उसी समय जहर न चूसा गया तो राजकुमारी मर जायेगी. इसी कारण मैंने मुंह से उनके मुंह का जहर चूसा था. “
“अब यदि आप मुझे दुबारा जीवित देखना चाहते हैं, तो एक ही रास्ता है. यदि आप अपनी पहली संतान का खून इस पत्थर पर छिड़केंगे, तो मैं फिर से जीवित हो जाऊँगा. ” यह कहने के साथ ही वह पूरी तरह पत्थर का हो गया.
एक साल बीत गया. राजकुमार के यहाँ पुत्र पैदा हुआ. इस बीच राजकुमार बहुत परेशान रहे. मंत्री-पुत्र का अभाव उन्हें बहुत खलता था. उसे जीवित करने का मौका आया था, लेकिन पुत्र की बलि कैसे दें ? एक ओर वफादार मित्र का अभाव था, तो दूसरी ओर प्रथम संतान का मोह. वह क्या करे ?
एक दिन राजकुमार एन यह तय कर लिया कि मुझे यह काम करना ही है. वह शयनकक्ष में पहुंचा और तलवार जैसे ही उठायी, पुत्रमोह से उसके हाथ काँप गए. इसी कारण घबराहट में उसके हाथ से तलवार छूटकर बच्चे के हाथ पर गिर गयी. रक्त की धार बह चली. राजकुमार में चैतन्यता आ गयी. उसने फ़ौरन वह रक्त हाथ में भरकर पत्थर बने मंत्री-पुत्र पर छिड़क दिया. वह राम-राम कहकर मानव रूप में आ गया. दोनों मित्र गले मिलकर बहुत खुश हुए.