Last updated on जुलाई 25, 2021
कारगिल विजय दिवस भारतवर्ष के इतिहास का एक ऐसा दिन है जो की हर भारतीय अवाम को हमेशा याद रहेगा। हर एक वर्ष कारगिल विजय दिवस २६ जुलाई को मनाया जाता है। कारगिल युद्ध १९९९ में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं की बीच लड़ा गया था। यह युद्ध लगभग ६० दिनों तक चलता रहा और २६ जुलाई १९९९ को इसका अंत हुआ। हालांकि इस युद्ध में भारत की विजय हुई और पकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।
एक परमवीर चक्र विजेता योद्धा जिन्होंने इस लड़ाई में भाग लिया था, उन्होंने बताया कि कारगिल का युद्ध एक बहुत ही कठिन युद्ध था क्योंकि युद्ध का क्षेत्र अत्यन्त ही दुर्गम था। हालाँकि भारतीय शूरवीरों ने यहाँ भी फतह हासिल की थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच भिन्न -भिन्न समयों पर तनाव की स्थिति अक्सर देखी जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ था उस दशक में भी। उसके बाद फरवरी १९९९ में भारत और पकिस्तान दोनों ने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये थे। यह हस्ताक्षर लाहौर में किया गया था। यह घोषणा पत्र दोनों देशों के बीच तनाव को शांत करने के उद्देश्य से किया गया था और इसके अनुसार कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था और ये द्विपक्षीय वार्ता द्वारा होना था।
लेकिन अब इसके बावजूद पाकिस्तान चोरी छुपे अपने सैनिकों और अर्धसैनिकों को घुसपैठ के जरिये नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ की हरकत को उसने “ऑपरेशन बद्र” नाम दिया। और ये काफी दिनों तक चलता रहा।
कुछ दिन बाद भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी गश्त करने निकली तो उन्हें कुछ घुसपैठियों के वहां होने का पता चला। और इसके बाद प्रारम्भ में ये दावा किया गया की इन घुसपैठियों को बाहर कर दिया जाएगा। जब ऑपरेशन शुरू किया गया तो आगे उन घुसपैठियों की सुनियोजित रणनीति का पता चला। अब ये निश्चित हो गया था की बड़े पैमाने पर हमले की योजना बनाई गयी है। फिर शुरू हुआ “ऑपरेशन विजय” और इसके तहत भारत सरकार ने २ लाख सैनिकों को भेजा था। युद्ध के उपरांत सारे घुसपैठिये या तो भाग गए या मारे गए। आधिकारिक रूप से यह युद्ध २६ जुलाई १९९९ को ख़तम हो गया।
इस युद्ध में करीब ५५० भारतीय सैनिकों की शहादत हुई और करीब १४०० सैनिक घायल हुए थे।
जय हिन्द !