हवा हूँ, हवा मैंबसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी –अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँबड़ी मस्तमौला।नहीं कुछ फ़िकर हैबड़ी ही निडर हूँजिधर चाहती हूँउधर घूमती…
मेरी कलम
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था।…
नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें…
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को…