Press "Enter" to skip to content

मेरी कलम

हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ / कविता

हवा हूँ, हवा मैंबसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी –अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँबड़ी मस्तमौला।नहीं कुछ फ़िकर हैबड़ी ही निडर हूँजिधर चाहती हूँउधर घूमती…

हार की जीत / बाबा भारती की कहानी

माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था।…

नर हो, न निराश करो मन को / मैथिलीशरण गुप्त

नर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें…

उठो लाल अब आँखें खोलो / सोहनलाल द्विवेदी

उठो लाल अब आँखें खोलो,पानी लायी हूँ मुंह धो लो। बीती रात कमल दल फूले,उसके ऊपर भँवरे झूले। चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,बहने लगी हवा…

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी / झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को…