सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो इधर उधर कई मंज़िल हैं चल…
मेरी कलम
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,शर्त लेकिन थी कि ये…
एक राजा था. काफी बूढा हो चूका था. एल दिन उसने अपने मंत्री को बुलाया और कहा – “देखो, राजकुमार अभी छोटे हैं . जिद्दी…
एक गाँव में एक ठग था. बहुत दिनों से बेकार था. गाँव में कोई उसकी ठगाई में आता नहीं था. सोचा, क्यों न गाँव से…
युगों पुरानी बात है. न धरती थी, न आकाश था. जल भी नहीं था. केवल एक निराकार थे. उन्हें कोई काम नहीं था. दिन भर बैठे…